सबरनाखा
Chandramohan Kisku
Latest posts by Chandramohan Kisku (see all)
- वक्त तो है! - May 1, 2019
- पेड़ -लताओं के हुल - March 15, 2019
- पेट की आग से धुँआ निकलता नहीं - March 14, 2019
सबरनाखा
मैं सबरनाखा
सोना माई
बहते चल रही हूँ
सोहराय, करम, माघे की
नाच और गीत के ताल में
रसीली हांडिया और
महुआ शराब के नशे में
हर्ष और आनंद के साथ
नाचते और गाते जा रही हूँ
अब मेरी
नाच की ताल में और
सुरीली सुर पर
काला जादू लग गया
दुश्मनों की बुरा नजर
लग गयी है
डायन – नाज़ोमों की
बुरी नजर से भी
भयानक
अब मेरी सहर्ष नाच कहाँ है
कल-कल की गीत भी
अबरुद्ध हो गयी है
मेरे चलने के पथ पर
बड़े -बड़े डैम
बन गये हैं
शहर – नगर और
कल – कारखानों की गंदगी
मेरे सोने जैसी देह पर
लीपते है
अब मेरी देह पर
चमकने वाली सोना नहीं है
कूड़ा -कचरा और गन्दगी से
कोयला जैसा काला हुआ हूँ
अब मैं
बहती नहीं हूँ
अपने से ही दूर
बहुत दूर
चली जा रही हूँ
सबरनाखा – Subarnarekha River flows through Jharkhand, West Bengal and Odisha.
Image : Subarnarekha river (courtesy: IndiaWaterPortal)
This post has already been read 1327 times!